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बस्तर का पहला त्यौहार अमुस (Amus)

अमुस (Amus) बस्तर संभाग के वनांचल में सावन के महीने में मनाया जाने वाला पहला त्यौहार है। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में अमावस्या के दूसरे दिन भोर में गाँव के किसान अपने खेतों में अमूस(Amus) खूँटा गाड़ते है। जो अलग-अलग गांव में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है हालांकि इस त्यौहार के समय और रीति रिवाज के विभिन्न स्वरूप हो सकते हैं लेकिन उन सभी गांव में यह त्यौहार मनाने की भावनाएं एक समान है गांव में त्यौहार के माध्यम से प्रार्थना करते हैं कि उनकी फसल अच्छी हो।

सविता कराटिया(लेखिका)

जनसंपर्क कार्यालय दंतेवाड़ा

 

 

 

Bastar me kaise manaya jata hai Amus Tyohar?

 

तो आईए जानते हैं बस्तर में कैसे मनाया जाते हैं अमुस त्यौहार?(Bastar me kaise manaya jata hai Amus Tyohar?) छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में ग्रामीणों द्वारा मनाया जाने वाला बस्तर का पहला त्यौहार है। यहाँ के परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और ये त्यौहार किसानों की समृद्धि और खुशी का प्रतीक है। कहा जा सकता है कि बस्तर के आदिवासी संस्कृति काफी समृद्ध और पूरी तरह से वैज्ञानिक भी है इसीलिए भी नहीं क्योंकि आदिम संस्कृति को प्रेरक माना गया है। इसके पीछे लोक मान्यता है कि वर्षा ऋतु के इन दिनों में वर्षा ऋतु आगमन के उपरांत समस्त जीव वनस्पति क्रियाशील हो जाते हैं वनस्पतियों के साथ कवक जीवाणु व संक्रमण तेजी से क्रियाशील हो जाते हैं जो कि पशुओं और फसलों पर रोग उत्पन्न कर हानि पहुंचाते हैं इन्हीं सब को ध्यान में रखते हुए सर्वपरी पूर्वजों ने अमुस तिहार जैसे महान पर्व परंपराओं का निर्माण किये, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है।

Amus tyohar

मिलिए ठसा मैन से जो चुटकियों में नए गीत तैयार करके एक सांस में गाते है।

बस्तरिया मछरी भाजा

खेतों में अच्छी फसल की पैदावार तथा कीट प्रकोप आदि की सुरक्षा के लिए खेतों में हजारों साल से पूर्वजो से मिले इस ज्ञान को ही संजोते आ रहे हैं ।अमुस तिहार (Amus Tyohar) के लिए हालाकि एक रात पहले से ही तैयार कर ली जाती है जंगल जाकर खेतों के लिए औषधीय जड़ी-बूटियों के साथ तेंदू पेड़ की पतली छड़ी गाड़ कर अमुस त्यौहार मनाया जाता है। इस छड़ी के ऊपरी सिरे पर शतावर, सीरीन फुल, रसना जड़ी, केऊ कंद को भेलवां के पत्तों में बांध दिया जाता है।खेतों में इस छड़ी को गाड़ने के पीछे ग्रामीणों की मान्यता यह है कि इससे कीट और अन्य व्याधियों के प्रकोप से फसल की रक्षा होती है। इस मौके पर जंगल से खोदकर लाई गई जड़ी बूटियों में रसना, सीरीन फुल, केऊ कंद, शतावर की पत्तियां और अन्य वनस्पतियां शामिल रहती है, पत्तों में लपेटकर पशुओं को खिलाया भी जाता है।

Amus
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Experience the magic of Bastar’s first festival, Amus! Celebrated amidst the lush green forests of the region during the month of Saawan, this festival holds a special place in the hearts of the Bastar community. It is believed that on the second day of Amavasya, the farmers of the village plough their fields with the traditional wooden plough or the ‘Amus Khunta’. The festival is celebrated differently in different villages, but the emotion and importance attached to it remain the same. Join us in this joyous occasion as we pray for a bountiful harvest and prosperity!

Amus is an amalgamation of unique traditions and cultures that showcase the depth of Bastar’s rich indigenous history. Witness the vibrant celebration of Amus and explore the graceful dance performances of the locals, indulge in the mouth-watering delicacies, and immerse yourself in the traditional practices and rituals practiced by the people of Bastar.

Here, at Bastar Villager, we welcome you to experience the exotic beauty of Bastar and be a part of one of India’s most colorful festivals – Amus! Join us on this journey of culture, tradition, and heritage.

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