अमुस (Amus) बस्तर संभाग के वनांचल में सावन के महीने में मनाया …
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शिवा यादव- स्थानीय पत्रकार जीत की खुशी में 12 साल में होता …
रियासत कालीन जीत की ख़ुशी में १२ साल में एक बार मनाया जाता है सुकमा राज मंडई Read More »
मित्रता और प्रकृति के प्रति समर्पण का मिसाल है भोजली (bhojali) लोकसंस्कृति …
विश्व आदिवासी दिवस /World’s Indigenous Day विश्व के इंडिजिनस पीपुल के मानवाधिकारों …
World’s Indigenous Day: विश्व मूलनिवासी दिवस की जरूरत क्यों है ? Read More »
आषाढ़ लगते ही तपी धरती उमस से भर उठती है। ऐसे में साल के जंगलों में एक गोल गोल फंगस जमीन की सतह पर उभर आता है जिसे बस्तर में बोड़ा (boda)कहा जाता है । इस फंगस की विशेषता है कि यह महीने भर ही उपलब्ध होता है और यह सब्जी के रूप खाया जाता है। यह इतना लोकप्रिय है कि शुरुआत में इसकी कीमत हजार से पंद्रह सौ रुपये किलो तक होती है। छत्तीसगढ़ में इस फंगस का बहुप्रचलित नाम है बोड़ा। बोड़ा शब्द गोंडी भाषा के बोडांग से आया है।
Nadpally Cave । नड़पल्ली गुफा आश्चर्य: एक हजार से भी अधिक लोग …
इस गुफा में हजार से भी अधिक लोग बैठकर दावत कर सकते हैं Read More »
“गोरनाकारी चेन्द्री बाई लक्का बुढ़ी माता । Gornakari Chendri Bai Lakka Budhi …
जानवरों के सींग से होता है यहाँ मातागुड़ी का शृंगार Read More »
पेस्टनजी नौरोजी की प्रेम कहानी। Pestonji Naoroji’s love story 1948 में बस्तर …
बस्तर के घनगोर जंगल में पेस्टनजी का दिल आज भी धड़कता है । Pestonji’s heart still beats Read More »