New initiative for rehabilitation of 30 prisoners(kaidi) in Dantewada District Jail : विष्णु के सुशासन में नक्सल बंदी राजमिस्त्री बनकर बनायेंगे पक्के पीएम आवास

दंतेवाड़ा जिला जेल दंतेवाड़ा में कैदियों (kaidi) को क्यों किया जा रहा सरकारी योजनाओं से संबंधित कार्यों के लिए प्रशिक्षित ?

दंतेवाड़ा जिला जेल में कैदियों (kaidi) के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए एक अनूठी पहल शुरू की है। जेल प्रशासन ने 30 विचाराधीन बंदियों को ना केवल सिलाई,फ़ास्ट फ़ूड, मैकेनिक की ट्रेनिंग दी जा रही है बल्कि ज़िला जेल दंतेवाड़ा में आजीविका कौशल विकास प्रशिक्षण कार्य के तहत राजमिस्त्री और प्रधानमंत्री आवास ,सरकार के द्वारा स्वीकृत शौचालय कैसे बनाया जाता है इसकी ट्रेनिंग दी जा रही है। इस पहल से कैदियों को कौशल कर प्रशिक्षित करने का बीड़ा उठाया है। जहां एक तरफ इस कदम से कैदियों के जीवन में बदलाव आएगा वहीं दूसरी तरफ उनके आत्मनिर्भर जीवन की शुरुआत भी होगी।

नक्सल केस आरोपी देवा,राजेश,लखमु,गोपी भी ले रहे है ट्रेनिंग

राजमिस्त्री की ट्रेनिंग ले रहे लखमु,गोपी की पेशी चल रही है इस दौरान वो इन कार्यों से प्रशिक्षित हो रहे है उनका कहना है।ज़िला जेल में ऐसे कार्यों से पारंगत होकर यदि समाज में बाहर कदम जब रखेंगे ये हमारे बेहतर जीवन के लिए कारगर होगा। यहां जेल के भीतर हमारे क़ैदी भाई अगर ये हुनर सीखेंगे तो परिवार के साथ समाज भी हमे अपनाएगा और हम अच्छा जीवन जी सकेंगे।

पीएम आवास ग़रीब परिवार के लिए स्वीकृत सरकारी योजना है पैसों की कमी से कई परिवार को राजमिस्त्री की आवश्यकता होती है ऐसे में हम जैसे लोगो को काम मिल सकेगा ये एक अच्छा अवसर है जब हम अपने जीवन को बेहतर बनाने में जुट सकते है इसलिए हम सभी ईमानदारी से प्रशिक्षण ले रहे है।

नक्सल कैदी (kaidi) देवा और राजेश सिलाई का कार्य सीख रहे है। यहाँ कपड़े की कटिंग ,सिलाई से संबंधित सभी कार्य प्रशिक्षक के द्वारा सिखाया जा रहा है। देवा कहते है मैंने सिलाई का काम सीख लिया है अब मैं कटिंग का काम सीख रहा हूँ। वही सिलाई कर रहे राजेश बहुत खुश थे वो बीजापुर के रहने वाले है वो कहते है यहां से बाहर निकलकर मैं अपनी छोटी सी दुकान खोलूंगा सरकार से लोन लेकर और परिवार का भरण पोषण करूंगा।

कंप्यूटर में प्रशिक्षित हो रहे वो कैदी (kaidi) जो अधिकांश युवा थे। जिनमें बलराम (उड़ीसा), शंकर कुर्सम (बीजापुर),शशि कुमार (बीजापुर) के रहने वाले ये युवा क़ैदी टाइप करना,आईडी कार्ड बनाना,एमएस ऑफिस और भी कई टूल्स सीख कर प्रयोग कर रहे थे। कुल 15 से अधिक लोग कम्यूटर की बेसिक सिख कर भविष्य में कुछ अच्छा करने की चाह रखते है ऐसा उनका कहना था। इस दौरान शशि ने कहा जेल में अच्छी व्यवस्था है और सबसे अच्छा ये प्रशिक्षण का होना है जहां हमारी ग़लतियों के बावजूद सरकार हमें अच्छा करने के लिए प्रेरित कर रही है।

दो पहिया वाहन रिपेयर की ट्रेनिंग ले रहे क़ैदी (kaidi) सुनील और मुराहा जेल से बाहर जाकर अपनी दुकान खोलना चाहते है।

ज़िला जेल प्रभारी गोवर्धन सिंह सोरी कहते है ये उन कैदियों के लिए अच्छा मौक़ा है जो बेहतर जीवन जीना चाहते है।

ज़िला जेल दंतेवाड़ा में पिछने आठ सालों से सेवा दे रहा हूँ।इस दौरान दंतेवाड़ा ज़िला जेल में नक्सल संबंधित कई केस मैंने यहाँ देखे लेकिन युवा क़ैदियों के लिए इस तरह की ट्रेनिंग सरकार के द्वारा चलाई जा रही है वो क़ाबिले तारीफ़ है। क़ैदियों के लिए उनके मनोभाव को ठीक करना सबसे कठिन कार्यों में से एक है।

युवाओं में जोश होता और इस ऊर्जा को यदि सही दिशा उनके उस दौर में दिया जाए सब वो सजा के पात्र है उनके लिये वरदान की तरह काम करेगा। वो मानसिक रूप से बीमार ज़रूर है लेकिन उनके पास एक अच्छा अवसर है जब वो समाज में बाहर जाकर इस प्रसिक्षण के मदद से रोज़गार के अवसर पायेंगे और सम्मान पूर्वक जीवन जी सकेंगे।

कौशल विकास: आत्मनिर्भरता की नींव

कैदियों (kaidi) को पेशेवर प्रशिक्षण देकर उन्हें समाज के मुख्यधारा में वापस लाने का प्रयास किया जा रहा है। सिलाई और राजमिस्त्री के प्रशिक्षण के अलावा, भविष्य में स्ट्रीट फूड वेंडर और कंप्यूटर जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रम भी शुरू किए जाएंगे। इस पहल का उद्देश्य है कि कैदी जेल से बाहर निकलने के बाद सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर सकें और अपराध की दुनिया से दूर रहें।

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पुनर्वास से समाज के प्रति सकारात्मक संदेश

ये पहल समाज को यह संदेश देती है कि हर व्यक्ति को अपनी गलतियों से सीखने और नई शुरुआत करने का अवसर मिलना चाहिए। कैदियों (kaidi) के जीवन में इस बदलाव का असर न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन पर पड़ेगा, बल्कि उनके परिवार और समाज को भी लाभान्वित करेगा।

दंतेवाड़ा की पहल: एक प्रेरणास्रोत

जिला जेल, दंतेवाड़ा की यह अभिनव पहल अन्य जिलों और राज्यों के लिए एक मिसाल है। यह कार्यक्रम यह दिखाता है कि सुधारात्मक उपायों के माध्यम से अपराध दर को कम करने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कितनी संभावनाएं हैं। इस तरह के प्रयास न केवल जेल के भीतर का माहौल सुधारते हैं, बल्कि जेल से बाहर की दुनिया को भी बेहतर बनाने में मदद करते हैं।

दंतेवाड़ा जेल की यह पहल कैदियों (kaidi)के पुनर्वास और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक प्रेरक कदम है। यह न केवल अपराधियों को दूसरा मौका देता है, बल्कि समाज को एक नई दिशा भी प्रदान करता है।

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