जज्बातों का सिलसिला

chain of emotions
chain of emotions

गुज़रते हुए अंधेरों से तू उजाले की बात लिख
कलम से तेरे नसीब में तू सारी कायनात लिख

रुके हुए कदम है जो सफ़र की उनमें आस लिख
ज़ख्मी जो हुए हौसले बुलंद उनमें सांस लिख

बची हुई उम्मीद से तू फिर नई शुरुवात लिख
जीत हो या मात हो, तू मात को भी जीत लिख

लिख सारे जिस्म पर, शर्म नही तहरीर लिख
लिख खुदको खुदा तेरा, हाथो में तेरी तकदीर लिख

एल.प्रियंका

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