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Tribals Festival Diwad । आदिवासियों की दिवाड़

Hunga Wela Mela । हूँगा वेला मेला

बस्तर अदृश्य शक्तियों को मानने और उस पर आस्था रखने वाला एक मात्र जिला या क्षेत्र नहीं ये सम्पूर्ण भारत का विषय रहा है। जिला दंतेवाड़ा माँ दंतेश्वरी के कारण प्रसिद्धि का केंद्र रहा लेकिन यहाँ के रहने वाले बस्तर वासी अलग अलग संप्रदाय के होने के बावजूद अदृश्य शक्तियों पर विश्वास रकते है।प्रत्येक वर्ष हिन्दू पंचांग के अनुसार दीपावली पूरे भारत में मनाई जाती है लेकिन बस्तर के दंतेवाड़ा जिले में गाँव बिंजाम में (Hunga Wela )हूँगा वेला मेला लगता है जो यहाँ के लोगों की असली दिवाली मानी जाती है।

हूँगा वेला कौन है ?। Who is Hunga Vela dev ?

बस्तर के लगभग सभी क्षेत्रों में आँगा देव पूजनीय है इसी आधार पर इस क्षेत्र के प्रमुख देव उसेन डोकरा हैं।जो अपनी पत्नी कोयले डोकरी के साथ घोटपल में रहते है ।बताया जाता है उसेंन देव की दो शादियाँ हुई थी पहली पत्नी थूल डोकरी के साथ संबंध विच्छेद होने के बाद वो वर्तमान में अपनी दूसरी पत्नी के साथ घोटपल में निवास करते है।इन दोनों से दो संतान हुई जो हूंगा और (Hunga Wela ) वेला के रूप में प्रसिद्ध हुए। इन्हें कोला के रूप में भी पहचान प्राप्त है।

हूँगा वेला मेला क्यूँ लगता है ?।Why Hunga Vela Fair is held?

दिवाड़ के नाम से संबोधित ये त्यौहार दरसल दीपावली है।ये हर साल नवम्बर के महीने में मनाया जाता है और ये दंतेवाड़ा जिले के गाँव बिंजाम और गदापाल में मनाया जाता है जिसमें आस पास के गाँव से सभी आँगा देव शामिल होते है।इस मेले में हूँगा वेला(Hunga Wela ) देव प्रमुख होते है क्यूँकि सभी देव इनके घर आते है, पंडेवार,फरसपाल, मसेनार,गोंडपाल लगभग आसपास के सभी गाँवो से यह देवों जमावड़ा होता है।इस मेले में देवों के सभी रिश्तेदार शामिल होते है गढ़ बोमड़ा, बोमड़ा देव ,जात वोमड़ा ,कड़े लिंगा ये सभी मौजूद होते है।

हूँगा वेला मेले की शुरुआत । Hunga Vela fair begins

हूँगा और वेला देव (Hunga Wela ) आए सभी देवों का स्वागत करते है दूसरे देवों को जागते है सभी देव गुड़ी के सामने बैठ कर सभी पूजा अर्चना करते है।जिसमें विशेष वोदा का फल,गोटफल और देसी मुर्ग़ी का अंडा चड़ाया जाता है।फिर देव एक दूसरे से गले मिलते है चुकी ये सालों बाद मिलते है बस्तर में मोहरी बाजा के बिना कोई भी काम अधूरा माना जाता है इस मेले को आकर्षित करता है मोहरी बाजा का धुन जिस पर सभी देव थिरकते है और गुड़ी के आस पास सभी नियमों को करते हुए चावल चढ़ाते है।

इसके बाद सभी देव नदियों की ओर प्रस्थान करते है और एक साथ नदी में छलाँग लगाते है ये अभी आँगा किसी ना किसी पेड़ के बने होते होते है।चुकी बस्तर में सभी लोग प्राकृतिक पूजक है इसलिए इनके देव भी इसी में बने होते है कोई बाँस,महुआ,शीशम या सगौंन से सभी नदी में डूबकर स्नान करते है।

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स्नान के बाद जब ये वापस लौटते है तो इस मेले में आए हुए बस्तरवासी आँगा से निलकते हुए पानी को पत्ते से बने हुए दोनी में जमा करते है,माना जाता है की आँगा के स्नान के बाद का पानी जिन्हें कम सुनाई देता है उनके कान पर डाला जाए तो वो ठीक हो जाता है अर्थात उनके पानी को आशीर्वाद के रूप में सभी आँगा देव के शरीर से निलकने वाले पानी को जमा करके बीमारियों को ठीक करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

स्नान के बाद सभी आँगा देव एक खुले मैदान में एकत्रित होते है जहाँ इस मेले का सबसे विशेष और ख़ास दृश्य देखने को मिलता है जब दूर दूर से जमा हुए लोग एक गोलाकार आकृति में जमा होते है और बीच में शादी शुदा जोड़े देवों के आशीर्वाद के लिए ज़मीन पर लेटकर उनकी प्रतीक्षा करते है।

हूँगा वेला से बच्चे की कामना करने दूर दूर से आते है शादी शूदा जोड़े । Married couples come from far and wide to wish for children from Hunga Vela

लेकामी परिवार के हूँगा वेला(Hunga Wela ) दोनो भाई है जो गाँव बिंजाम के देवगुड़ी में रहते है और इनके साथ वेला के बेटे बोमड़ा देव भी रहते है।इस मेले में एक पुरानी परम्परा देखने को मिलती है की इस मेले में प्रत्येक वर्ष कई ऐसे शादी शुदा जोड़े शामिल होते है जिन्हें कई सालों से संतान की प्राप्ति नहीं हुई है।यह मान्यता है कि इनके आशीर्वाद से निःसंतान दम्पत्तियों को संतान की प्राप्ति होती है।इस वर्ष 21 जोड़े हूँगा वेला देव से आशीर्वाद लेने पहुँचे थे।

सभी जोड़े खुले मैदान पर उल्टे ज़मीन पर लेटते है और हूँगा वेला के समक्ष बिंजाम के स्थानीय दो से तीन सिरहाँ समस्याओं को रखते है उन्हें स्थानीय बोली गोंडी में देव का आहान करते है उन्हें बुलाते है अगर जोड़े को देवों ने आशीर्वाद दे दिया तो निश्चय ही उन्हें दंपत्ति की प्राप्ति होती है ऐसी यहाँ के लोगों की आस्था है।

मेले में ऐसे भी जोड़े मौजूद थे जो हूँगा वेला देव (Hunga Wela ) को संतान प्राप्ति के बाद शुक्रिया अदा करने आए थे।इस मेले में ये दोनों सभी को आशीर्वाद देंगे या मिलगे ये ज़रूरी नहीं होता कभी कभी कुछ जोड़े को आशीर्वाद नहीं मिल पाता।इसके पीछे का कारण पूछने पर यहाँ के प्रमुख गायता ने बताया की जोड़े के कुछ समस्या बाक़ी है जिसके कारण उन्हें ये आशीर्वाद नहीं मिलता ।

लेकामी परिवार। Family of Lekami

दक्षिण बस्तर में देवों को आँगा और कोला के रूप में मान्यता प्राप्त है।इस क्षेत्र के प्रमुख देव के रूप में उसेन डोकरा (आंगा) जो प्रमुख हैं, और यहां के लेकामी वंश के प्रमुख देवता हैं, जिनका विवाह सर्वप्रथम थुले डोकरी से हुआ और उनसे संबंध विच्छेद होने के उपरांत कोयले डोकरी से विवाह किया।

इनसे दो संतान हुई जो हूंगा और वेला के रूप में प्रसिद्ध हुए। इन्हें कोला के रूप में भी पहचान प्राप्त है।हूंगा से गढ़ बोमड़ा पैदा हुए जो अपने दादा उसेन डोकरा के साथ घोटपाल में रहते हैं, और वेला से आदुरूँगा,बोमड़ा,कड़े लिंगा व जात बोमड़ा पैदा हुए। जो आतरा और लेकामी वंश के देव बने और ये मसेनार,पंडेवार के प्रमुख देव बने । ये कोला देव अभी तक अविवाहित हैं।आज के दिवाड़ उत्सव में केवल उसेन डोकरा की संतान ही सम्मलित हुई। बिंजाम स्थित देव गुड़ी (हूंगा-वेला मंदिर) में हूंगा, वेला के अतिरिक्त वेला के बेटे बोमड़ा भी विराजित हैं।।

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