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दंतेवाड़ा की जागेश्वरी 3 साल बाद चर्म रोग के चलते फिर हुई वायरल

दंतेवाड़ा के घने जंगलो के बीच बसा गाँव बगोफ़र की रहने वाली जागेश्वरी (jageshwari) एक गंभीर बीमारी से ग्रसित है।इस बीमारी का नाम है इक्थ्योसिस हिस्ट्रिक्स (Icthyosis hystrix) है।इस बच्ची की बीमारी का विडीओ साल 2020 में जमकर वायरल हुई और प्रशासन के नज़र में आइ और इसका इलाज शुरू हुआ था।

jageshwari’s new video

बच्ची स्वस्थ भी दिखने लगी थी और वो वापस घर लौट कर आइ लेकिन साल 2022 फिर इस बच्ची(jageshwari) की विडीओ फिर से सोशल दुनिया में मदद की गुहार लगाने लगी।क्यूँकि जागेश्वरी का शरीर फिर से पेड़ों के छाल जैसे आकर लेने लगा।कई लोग इस अंदेशा में भी रहे की पुरानी विडीओ वायरल हो रही है।लेकिन इसकी सत्यता लेने के लिए बिलासपुर के पत्रकार ब्रजराज तीन महीने पहले इस दंतेवाड़ा और नारायणपुर के सीमा पर बसा गाँव बंगोफर पहुँचे थे और उन्होंने देखा की जागेश्वरी को फिर से इस बीमारी ने घेर लिया है।

इसे भी आप देख सकते है – जागेश्वरी के त्वचा में फैलता ये रोग

इसकी मदद के लिए उन्होंने इसे फ़ेसबूक पर शेयर किया जिसे देखकर बस्तर विलेजर ने ब्रजराज से सम्पर्क किया और सारी जानकारी ली इस खबर उसकी सत्यता करने के लिए सुनील नाग की मदद से उस बच्ची से मुलाक़ात हो पाई फिर इस खबर को अपने सोशल पेज बस्तर विलेजर के माध्यम से लोगों के सामने रखा और मदद माँगी।

पोस्ट को देखकर कई NGO और भूपेश बघेल की टीम द्वारा राहत पहुँचाने और स्वास्थ्य सेवा जल्द उस बच्ची तक पहुँचाने की बात की गई है और वे लगातार बस्तर विलेजर के साथ सम्पर्क में है।लेकिन अभी तक कोई मदद उस तक नहीं पहुँच पाई है।

Jageshwari medicine slips । जागेश्वरी की दवाइयों की पर्चियाँ

साल 2020 में इसका इलाज रायपुर के डॉक्टर भीमराव अंबेटकर मेमोरियल अस्पताल रायपुर में किया गया । उस वक्त jageshwari जागेश्वरी की उम्र आठ साल थी और इसे लगभग तीन महीने अस्पताल में पूरी देखभाल के साथ रखा गया था और जागेश्वरी बिलकुल स्वस्थ दिखने लगी थी।

आइए जानते है, इक्थ्योसिस हिस्ट्रिक्स बीमारी किन कारणों से होती है ?

ये एक दुर्लभ बीमारी है,विशेषज्ञों के अनुसार ,वंसानुगत या शरीर में प्रोटीन और म्यूकस मेंबरेन की गैर-मौजूदगी की वजह से बच्चे की ऐसी हालत हो जाती है। जो 30 लाख बच्चों में से एक बच्चे को ही होती है। ऐसे में जन्म लेने वाले बच्चे की त्वचा एकदम सख्त और मोटी हो जाती है। इसके साथ ही त्वचा का रंग सफेद हो जाता है।या हल्का पिला हो जाता है ।

आर्थिक स्थिति के चलते इलाज के लिए अभी तैयार नहीं जागेश्वरी के पिता

जागेश्वरी के पिता गोदरु कड़की ने कहा :-

खेतों से बारिश के मौसम में थोड़ी बहुत कमाई हो पाती है जो हमारे दैनिक ज़रूरतों को पूरा करता है।ऐसे में कोई अभी मदद के आगे आने पर भी जागेश्वरी को इलाज के ले जाना मेरे लिए संभव नहीं है क्यूँकि मेरे घर में दो और छोटे बच्चे है मेरी पत्नी है।

गोदरु कड़की

ज़ाहिर सी बात है बस्तर के गाँव आज भी वनोपज पर आश्रित है।ऐसे में इतनी बड़ी बीमारी को समझना इनके लिए आसान नहीं है क्यूँकि दैनिक आपूर्ति के लिए उनका निरंतर मौसम के अनुसार अपने कार्यों को करते है।महुआ, टोरा, तेंदू पत्ता,धान इन्ही जंगली उत्पातों के चलते इनका घर चलता है। जब सुनील ने जागेश्वरी के पिता से इलाज की बात की तो उन्होंने सीधे कहा बारिश के दिनों में तो नहीं लेकिन उसके बाद कोई मदद मिल जाए तो मै अपनी बेटी का ज़रूर इलाज करवाना चाहता हूँ।

किसी भी व्यक्ति के लिए ये सोचना की उसे ठीक रहने के लिए हमेशा दवाइयों की ज़रूरत होगी ये कितना मुश्किल है,क्यूँकि डॉक्टर ने इस बीमारी को लाइलाज बताकर उसे अस्पताल से रवाना किया था लेकिन दवाइयाँ लगातार ना मिलने पर जागेश्वरी को इस बीमारी ने फिर से जकड़ लिया।ऐसे में इसका क्या समाधान है जिससे इस 11 साल की बच्ची को उम्र पर दवाई मिल सके जिससे ये स्वस्थ महसूस कर पाए।ये बता पाना बेहद मुश्किल है फिर भी उम्मीद है इसे एक बार नया जीवन ज़रूर मिले।

शैलेश यादव ने बढ़ाया उम्मीद का एक कदम

शैलेश यादव जगदलपुर के रहने वाले है जब इन्होंने वायरल विडीओ देखी तो इन्होंने इस बच्ची के लिए मल्टीविटामिन की दवाई इनके लिए मुफ़्त में भेजी जो रागेश्वरी के पास पहुँचा दी गई है।उम्मीद है सरकार इस बच्ची तक जल्द पहुँचे और इसे कुछ राहत मिल जाए।

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पीड़िता का पता

नाम – जागेश्वरी (jageshwari) कड़ती, पिता गोदरु कड़की, माता सुबी कड़की,ग्राम -बंगोफ़र (कोरगाँव पंचायत)ब्लाक गीदम,ज़िला दंतेवाड़ा

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